Friday, March 29, 2019

मैं लड़ती थी, और अब.....

मैं लड़ती थी कि, वो बात नहीं करता..
और अब वो दिन भर बातें करता है।
मैं लड़ती थी कि, वो कुछ बताता नहीं है,
और अब वो हर छोटी बात सबसे पहले बताता है।
सुबह की पहली स्माइली से लेकर रात को दिन भर की पूरी कहानी सुनाने तक, हर चीज़ की ख्वाहिश थी मुझे,
और अब ख्वाहिशें पूरी हो रही हैं।
कभी प्यार से पास बैठ कर हाथ थाम लेने से लेकर, जाते जाते कसकर गले लगा लेने तक,
उसके हर पल में शामिल होना था मुझे,
और अब उसके हर पल से जुड़ाव हो गया है।
मैं लड़ती थी कि, उसे मुझसे कोई मतलब नहीं है,
और अब उसे किसी से भी मतलब नहीं है।
..... सबसे दिलचस्प तो ये है कि
मैं लड़ती थी... कि कहीं कोई और उसका न हो जाए,
और अब वो ही किसी और का हो गया है।

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