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Wednesday, January 9, 2019

बड़ी महफूज थी वो अपनी मां के आंचल में, बेटी घर से निकली तो बेज़ार हो गई

लड़को से ज्यादा दोस्ती करना ठीक नहीं है। लड़कियों को लड़को से दूर ही रहना चाहिए। लड़की हो तुम, तुम्हारे लिए टीचिंग का प्रोफेशन ही सबसे सही है। ना ज्यादा झंझट और टाइम से घर वापस', 'डांसिंग वगरहा, इस तरह के कामों में लड़कियों की कोई इज्जत नहीं रहती। इधर—उधर जाओगी, फालतू कुछ उंच—नीच हो गई तो हम किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगें', 'फिल्म इंडस्ट्री, ना बाबा ना, कितने गलत काम होते हैं, वहां। पता नहीं है क्या, फिल्म में रोल पाने के लिए, वो सब करना पड़ता है', 'एक बार लड़की घर से बाहर निकली, तो समझो हाथ से निकली।' 

बड़ी महफूज थी वो अपनी मां के आंचल में,  

 बेटी घर से निकली तो बेज़ार हो गई।

जरूर उपर लिखी ये बातें आप में बहुत सी लड़कियों के लिए बेहद आम होंगी। कई लड़कियों ने इन्हीं डायलॉग्स को सुनकर अपने सपनों को कुचला होगा, तो कुछ ने अगर इनसे लड़कर आगे बढ़ने की कोशिश की होगी, तो शायद पावर के घमंड ने कुछ इसी तरह आपका रास्ता रोका होगा, जैसा विडियो में इस लड़की के साथ हुआ। इस तरह की ज़लील सोच और मानसिकता ही है, जो अक्सर लोगों को ये कहने का मौका देती है कि एक लड़की मां के आंचल में है तो महफूज़ है, ये पिंजरा तोड़ने की कोशिश करेगी तो उसकी कोई इज़्जत नहीं बचेगी।

रिश्तों की आबरू तार—तार हो गई, 

गुड़िया कांच की टूटी चार—चार हो गई

जब मानसिकता नीचता की हद पार कर जाती है, तो इस बात का भी फर्क नहीं पड़ता कि उस लड़की की उम्र क्या है, वो जवान है, 70 साल की बूढ़ी औरत है या 5 साल की बच्ची। हैवानियत सर पर इस कदर कैसे हावी हो जाती है कि इंसान भी भक्षी बन जाता है। तब ना रिश्तों का मोल बचता है और ना किसी की कोई शर्म। कुछ ऐसा ही हुआ इस छोटी बच्ची के साथ जो अपनी डांस गुरू के पति की हैवानियत का शिकार बनी। मगर कांच के साथ छेड़छाड़ करोगे तो खतरा तो रहेगा। कांच की गुड़िया तोड़ी है, तो चोट तो तुम्हे भी लगेगी। 

उड़ान अभी तो शुरू की और पंख जला दिए, 

वहशी थी वो नज़र जो रूह के पार हो गई।

अक्सर लड़कियों को लड़को से दूर रहने की सलाह दी जाती है। हालांकि उसके पीछे ही वजह लड़कियों की सुरक्षा को ही बताया जाता है। मगर आज के दौर में समस्या भी यही है कि किस पर भरोसा किया जाए और किस पर नहीं। जिसको अपना सबसे खास समझा, वो ही आपको तोड़ दे, तो विश्वास शब्द भी उसके सामने नीचा हो जाता है। इस लड़की को भी उसके सबसे करीबी लोगों से धोखा मिला। मगर शायद अपनों से मिले ऐसे घात आपको इतना मजबूत बना कर छोड़ते हैं, कि फिर आपको कभी कोई तोड़ नहीं पाएगा।

पल—पल गिर रही मानसिकता का एक नमूना :

ये तीन कहानियां किसी बॉलीवुड फिल्म या शॉर्ट फिल्म की नहीं है, बल्कि ये कहानियां दिखाई गई है हालिया रिलीज़ एक म्यूजिक विडियो में। 'ओ रे नसीबा' नाम के इस म्यूजिक विडियो को कृषिका लुल्ला ने निर्देशित किया है और सिंगर मोनाली ठाकुर ने इसे अपनी आवाज़ दी है। संजीव चतुर्वेदी ने इस गाने के लिरिक्स लिखें हैं और काशी कश्यप इसके प्रोड्यूसर हैं। इससे पहले इसकी तीनों कहानियों से जुड़े तीन प्रोमो विडियो भी सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए थे। जिसमें हर लड़की की कहानी को उपर दी गई इन लाइन्स के ज़रिये बयां किया गया। 

आ कभी देख ले मेरे जख्मों को तू,

तेरी आंखों से आंसू छलक जाएंगें,

मुझसे क्या रंजिशे हैं इतना बता..

अक्सर जब हम इस तरह की घटनाओं के बारे में सुनते हैं, तो सबसे पहला सवाल मन में यही आता है कि आखिर उस लड़की की क्या गलती थी? उसने किसी का क्या बिगाड़ा था? आप और हम उस दर्द को कभी नहीं समझ सकते जिससे वो लड़की गुज़री है, मगर उस मंज़र के बारे में सोचकर भी हमारी आंखे भर आती हैं। मगर उन दरिंदों की आत्मा उन्हें क्यों नहीं कचोटती?

हार कर के भी मैं हारती ही नहीं,

हौसलों के मेरे अब तू ना आज़मा,

रूबरू आ ज़रा, मुझसे आंखे मिला..

एसिड अटैक सर्वाइवर्स, मीटू मूवमेंट में खुलकर सामने आने वाली महिलाएं और रूढ़िवादी सोच को पीछे छोड़ अपना मुकाम पाने वाली महिलाएं इस बात का एक बड़ा उदाहरण है कि महिलाएं ना हार से कतराती नहीं है और ना नेगेटिविटी से घबराती हैं। वो हर हार को जीत में बदलने का हौंसला रखती हैं और नेगेटिविटी को मुंहतोड़ जवाब देने का जज़्बा लेकर चलती हैं।

सैक्सुअल हैरेसमेंट पर आधारित इस विडियो की कहानियां भले ही फिक्शनल हैं, मगर ये किस्से तो सच हैं। ऐसी बहुत सी खबरें हमने कई बार पढ़ी हैं। एक आज़ाद सोच और खुले आसमान में उड़ने के सपने कुचले गए। एक हंसती खेलती मुस्कुराहट को पैरों तले रौंदा गया और दरिंदगी की हदें पार करते हुए एक बेकसूर आत्मा को नौंचा गया। लाख प्रयास हुए, समझाइश भी और सख्ती भी, मगर वो नहीं रूके। पर अब वो वक्त है, जहां ना कोई आवाज़ दबेगी और ना कोई दरिंदगी हावी हो पाएगी। अब हर घटिया मानसिकता को पलट कर जवाब मिलना बहुत जरूरी है।

इस म्यूजिक विडियो में दिखाया गया है कि लड़की की आबरू के साथ खिलवाड़ करने वाली हर सोच को किस्मत ने अपनी जगह दिखाई है। मगर सच तो ये हैं कि अब हाथ में हाथ रखकर बैठने का वक्त ही नहीं है। अब वक्त है हर उस नीचे गिरती सोच को मुंहतोड़ जवाब देने का। इस समाज को और हर घटिया सोच को ये समझना होगा कि महिलाएं कोई खिलौना नहीं है, जिससे वो अपना मन बहला सकते हैं। महिलाओं को भी अपने सपने पूरे करने का और पूरी आजादी के साथ बेखौफ जीने का उतना ही हक है जितना हर दूसरे इंसान को है। 

इस विडियो में आपको गुस्सा, प्यार, मजबूरी, विश्वास और धोखा जैसे कई भाव देखने को मिल रहे हैं। शुभ मंगल सावधान, तनु वेड्स मनु जैसी फिल्में प्रोड्यूस कर चुकी कृषिका लुल्ला ने इस म्यूजिक विडियो के ज़रिये डायरेक्शन में हाथ आजमाया है। वहीं मोनाली ठाकुर ने अपनी आवाज़ से इस गाने में नई जान डाल दी है। एक गंभीर मुद्दे को लेकर बनाए गए इस गाने के लिरिक्स भी काफी दमदार हैं। जो इसे देखने वाले हर इंसान से सवाल भी कर रहे हैं, साथ ही चेतावनी देते हुए ये भी समझा रहे हैं कि ये हौंसले इतने बुलंद हैं कि वो कभी नहीं डगमगाएंगें।